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Sunday 24 March 2019

मनोविज्ञान की उत्पति एवं अर्थ | Education Pshychology for RPSC,REET


मनोविज्ञान की उत्पति एवं अर्थ -


·      मनोविज्ञान शब्द की उत्पति दर्शन शास्त्र नामक विषय से मानी जाती है |

·      दर्शन शास्त्र को मनोविज्ञान की जननी कहा जाता है |

·      मनोविज्ञान की उत्पति ग्रीक भाषा के 2 शब्दो से हुई है |

Psyche(आत्मा)+लोगोस(अध्यन/ज्ञान/विज्ञान)



1. मनोविज्ञान आत्मा के विज्ञान के रूप मे -

·      16 वीं शताब्दी मे मनोविज्ञान को आत्मा के विज्ञान के रूप मे परिभाषित किया गया |

·      प्रवर्तक – प्लेटो ,अरस्तू (प्रथम मनोवैज्ञानिक की संज्ञा) ,देकार्ते, सुकरात

·      मानव के समस्त व्यवहारों एवं कार्यों का नियंत्रण –आत्मा करती है

    अमान्य – आत्मा का भौतिक स्वरूप व प्रमाण उपलब्ध नहीं था |

             बुरे कार्य कौन करता है (व्यवहारों का स्पष्टीकरण नहीं )

2.  मनोविज्ञान मन या मस्तिष्क के रूप मे

·      प्रवर्तक – 2जी  -  पोंपोनोजी (इटली) ,पेस्टोलोजी (स्विजरलेंड)

·      17-18वीं शताब्दी की अवधारणा (सर्वाधिक लोकप्रिय एवं स्थायी)

·      मानव के समस्त व्यवहारों पर नियंत्रण – मन

    अमान्य – मन की स्थति एवं स्वरूप स्पष्ट नहीं |

3. मनोविज्ञान चेतना के विज्ञान के रूप मे

·      प्रवर्तक – 2 वी -  विलियम वुण्ट , विलियम जेम्स

·      चेतना का विज्ञान 19वीं शताब्दी की अवधारणा है जिसके अनुसार व्यक्ति की चेतन अवस्था उसके समस्त कार्यों का नियंत्रण करती है |

·      अर्द्ध चेतना और अचेतन व्यवहारों का अध्ययन न कर पाने से इस अवधारणा को अमान्य कर दिया गया |

4. मनोविज्ञान व्यवहार के विज्ञान के रूप में

·      प्रवर्तक – वाटसन

·      समर्थक – थार्नडाइक,पावलव,स्किनर,हल ,गुथरी ,वुडवर्थ ,पिल्सबरी,मेक्डुगल आदि |

·      20वीं शताब्दी से वर्तमान समय तक प्रचलित मत



व्यवहार -  

·      वातावरण के प्रति व्यक्ति की सभी उद्धेश्यपूर्ण क्रियाएँ |

·      व्यवहार का संबंद आयु तथा परिपक्वता से है |

·      वाटसन के अनुसार – “व्यवहार पर सर्वाधिक प्रभाव वातावरण का पाया जाता है”

·      वाटसन ने 1925 मे “व्यवहारवाद” नामक पुस्तक की रचना की |

·      वूडवर्थ के अनुसार – “मनोविज्ञान ने सर्वप्रथम आत्मा का त्याग किया फिर उसने मन व मस्तिष्क को छोड़ा फिर चेतना खोई और अंत में वह व्यवहार को अपनाए हुये है” |  




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