मनोविज्ञान की उत्पति एवं अर्थ -
· मनोविज्ञान शब्द की उत्पति
दर्शन शास्त्र नामक विषय से मानी जाती है |
· दर्शन
शास्त्र को मनोविज्ञान की जननी कहा जाता है |
· मनोविज्ञान
की उत्पति ग्रीक भाषा के 2 शब्दो से हुई है |
Psyche(आत्मा)+लोगोस(अध्यन/ज्ञान/विज्ञान)
1. मनोविज्ञान आत्मा के विज्ञान के रूप मे -
· 16
वीं शताब्दी मे मनोविज्ञान को आत्मा के विज्ञान के रूप मे परिभाषित किया गया |
· प्रवर्तक
– प्लेटो ,अरस्तू (प्रथम मनोवैज्ञानिक की संज्ञा) ,देकार्ते, सुकरात
· मानव
के समस्त व्यवहारों एवं कार्यों का नियंत्रण –आत्मा करती है
अमान्य –
आत्मा का भौतिक स्वरूप व प्रमाण उपलब्ध नहीं था |
बुरे कार्य कौन करता है (व्यवहारों
का स्पष्टीकरण नहीं )
2. मनोविज्ञान
मन या मस्तिष्क के रूप मे –
· प्रवर्तक
– 2जी -
पोंपोनोजी (इटली) ,पेस्टोलोजी (स्विजरलेंड)
· 17-18वीं
शताब्दी की अवधारणा (सर्वाधिक लोकप्रिय एवं स्थायी)
· मानव
के समस्त व्यवहारों पर नियंत्रण – मन
अमान्य –
मन की स्थति एवं स्वरूप स्पष्ट नहीं |
3. मनोविज्ञान चेतना के विज्ञान के रूप मे
–
· प्रवर्तक
– 2 वी - विलियम वुण्ट , विलियम जेम्स
· चेतना
का विज्ञान 19वीं शताब्दी की अवधारणा है जिसके अनुसार व्यक्ति की चेतन अवस्था उसके
समस्त कार्यों का नियंत्रण करती है |
· अर्द्ध
चेतना और अचेतन व्यवहारों का अध्ययन न कर पाने से इस अवधारणा को अमान्य कर दिया गया
|
4. मनोविज्ञान व्यवहार के विज्ञान के रूप में
–
· प्रवर्तक
– वाटसन
· समर्थक
– थार्नडाइक,पावलव,स्किनर,हल ,गुथरी ,वुडवर्थ ,पिल्सबरी,मेक्डुगल आदि |
· 20वीं
शताब्दी से वर्तमान समय तक प्रचलित मत
व्यवहार -
· वातावरण
के प्रति व्यक्ति की सभी उद्धेश्यपूर्ण क्रियाएँ |
· व्यवहार
का संबंद आयु तथा परिपक्वता से है |
· वाटसन
के अनुसार – “व्यवहार पर सर्वाधिक प्रभाव वातावरण का पाया जाता है”
· वाटसन
ने 1925 मे “व्यवहारवाद” नामक पुस्तक की रचना की |
· वूडवर्थ
के अनुसार – “मनोविज्ञान ने सर्वप्रथम आत्मा का त्याग किया फिर उसने मन व मस्तिष्क
को छोड़ा फिर चेतना खोई और अंत में वह व्यवहार को अपनाए हुये है” |
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